प्रश्न पूछने वाले की जानकारी |
नाम:- |
पता:- |
ईमेल / मोबाइल :- |
प्रश्न:- |
उत्तर:- हलबा- हलबा लोग बस्तर के प्रमुख ग्रामों में ही पाये जाते हैं। मुख्य रूप से ये बीजापुर, बारसूर,दन्तेवाड़ा,गीदम,जगदलपुर, बड़ांजी, सुकमा, गंगालूर, छिदंगढ़ नारायणपुर, अन्तागढ़, भानुप्रतापपुर, कोण्डागांव, केशकाल, छोटेडोंगर तथा बडे डोंगर में पाये जाते है। इनकी बोली का नाम हल्बी है।इसमें छत्तीसगढ़ी मराठी,उड़िया तथा हिन्दी का अनूठा मेल है। इसे हिन्दी के अधिक निकट माना जाता है। हलबी बस्तर की सम्पर्क भाशा मानी जाती है। गोंड़ी के बाद इसे ही अधिक लोग बोलते तथा समझते है। हलबी का लोक साहित्य समृद्ध है। हलबा बड़े सफाई पसंद होते है। इनके घर साफ सुथरे होते है। अक्सर बड़े गांव में ये आबाद रहते है अतः संभ्रान्त व गैर आदिवासियों से इनका अच्छा सम्पर्क रहता है। कांकेर के राज परिवार में तो महल के अन्दर विश्वस्त कर्मचारी के रुप में हलबा लोगों का रखा जाता था। कांकेर राजा का राजतिलक हलबा द्वारा होता था। बस्तर दशहरे के अवसर पर सैनिक वेषभूषा में कतारबद्ध हलबा तलवार, लिये राजा के रथ के सामने सामने चलते थे। उत्तर बस्तर में बड़े डोंगर केशकाल आदि के आसपास के अठारह गढ़ों के किले दार पहले हलबा लोग ही थे। हलबा अच्छे कृषक होते है साथ ही इन्हें जड़ी-बूटियों का भी ज्ञान होता है। हलबा लोग बहुधा व्यवस्कता प्राप्त करने पर शादी करते है, बाल विवाह कम होते हैै। विधवा विवाह प्रचलित है तथा तलाक को भी सामाजिक मान्यता प्राप्त है। हलबा सामान्य ऊॅचाई के सांवले, हष्ट पुष्ट , चौडा सिर तथा साधारणतः अच्छे नाक नक्ष के होते है। ये हिन्दू देवी देवताओं की भी पूजा अर्चना करते है। ये अपने सारे संस्कार, जन्म से लेकर मृत्यु तक हिन्दुओं के समान ही करते है। हलबा लोगों में शिक्षा का प्रतिशत अन्य जनजातियों की अपेक्षा अधिक है। |
आपने प्रश्न दिनांक Wed, Nov 16, 2022 4:52 PM को पूछा हैं |
आपके
प्रश्नों का उत्तर आर्यन चिराम जी ने दिया है |
आप पुनःलिंक पर क्लीक करके प्रश्न पूछ सकते है https://halba-halbi-samaj.blogspot.com/p/questions.html |
0 टिप्पणियाँ
अपना राय देवें